Sunday 31 May 2020

माँ- जिसने सृष्टि को जना

माँ
जिसने सृष्टि को जना, जिसने हमें जना वो जीवनदायिनी माँ ईश्वर का साक्षात प्रतिरुप है। माँ शब्दातीत है, माँ केवल भाव सुमन अर्पित कर पूजनीय है।
मेरे लिए

"मां"
एक शब्द
एक एहसास
एक रिश्ता 
एक ममता

"मां"
एक जननी 
एक रचयिता 
एक संचालक 
एक पालक 

"मां"
एक विश्वास
एक समर्पण
एक आस्था
एक पूजा

"मां" में समाहित है संपूर्ण सृष्टि
          मां तुझे प्रणाम,...
          माँ को केवल मेरे शब्द नहीं बांध सकते फिर भी बता न चाहती हूँ
मेरी माँ

मेरी ज़िद
मेरा गुस्सा
मेरा संघर्ष
मेरा लक्ष्य
मेरे रास्ते
मेरे उद्देश्य 
सब कुछ मुझे घेरते हैं 
अनेक प्रश्नों से
और फिर
मैं रखती हूँ खुद को
उसकी जगह
और दे देती है 
हर प्रश्न का उत्तर
मेरी माँ!
आइये पढ़ते हैं अन्तराशब्दशक्ति के रचनाकार किस रूप में ध्याते है माँ को, इस रुप में परिभाषित करते है।
माँ को नमन!

सादर आभार
संस्थापक एवं सम्पादक
डॉ प्रीति समकित सुराना
अन्तरा शब्दशक्ति

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