मेरा सर्मपण है यही
जो मुझमें लिख गया
सो लिख गया
तुम पढ़ो
या बिन पढ़े अपना लो।
बस आरजू इतनी सी है
मैं रहूँ
खुली किताब की तरह
तुम पढ़ो
या सीने पर रखकर
सुकून से सो जाओ
रहूँ पास तुम्हारे
तन्हाई भर
शब भर
मुझे और क्या चाहिए?
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
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