जब दर्द हो तो तुम्हारा स्पर्श
खुशी हो तो तुम्हारी आँखों की चमक
गम हो तो तुम्हारा आलिंगन
प्यार आए तो तुम्हारा चूमना
गुस्सा आए तो हाथ झटक देना
कुछ छुपाना हो तो नजरें चुराना
कुछ बताना हो तो बच्चों सा मचलना
हर आहट, हर हरकत, हर भाव
तुम्हारे बिना कहे समझ लेती हूँ हमेशा
पर जब तुम सामने रहो
तभी ये खामोशी अच्छी लगती है
क्योंकि बूझो तो जाने का खेल
बस आमने-सामने ही ठीक है
नज़रों से दूर होते ही हर बात सुनने को
तरसता है मन,..!
हाँ!
तब तुम्हारी खामोशी नहीं सुहाती
सच कहूँ तो पीड़ा देती है,..!
सुनो!
दूर रहकर यूँ चुप न रहो,..!
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
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