Friday 3 April 2020

सोचता बहुत है दिल!

#दिख रहा है
कौन अपना, कौन पराया
किसने कितना, धर्म निभाया?

पर भी जब 
निर्णय लेना हो किसे निकालें
किसे मिटाएं, विकार बहुत है।

पत्थर नहीं है
तभी निर्णयकाल में कठोर नहीं हो पाता
आर या पार का निर्णय नहीं ले पाता

हाँ
दोस्ती हो जाती है बड़ी आसानी से
दुश्मन को मिटाना है तो सोचता बहुत है दिल!

#डॉप्रीति समकित सुराना

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