दानान्तराय कर्म का उपार्जन
किसे दिया
कितना दिया
कब दिया
कैसे दिया
इसे दुनिया को बताना चाहिए
ताकि
हमसे प्रेरित होकर
हमारे दान की अनुमोदना का प्रतिफल
दान की भावना को बढ़ाना हो।
हम दान देकर
यदि किसीकी निम्नता का प्रदर्शन कर ख्याति बटोरते हैं
तो वह दान विलासिता का प्रदर्शन होता है
तब प्रतिफल स्वरुप दानान्तराय कर्म का बंध होता है
एक दिन ऐसा आता है जब यही कर्म
उदय में आकर
दानी को भी भिक्षुक बना दे।
ईश्वर के सामने चढ़ा देवद्रव्य भी उस अंतराय को खत्म नहीं करता
अतः
याद रहे!
कहावतें यूँ ही नहीं बनती,
कसी जाती है समय की कसौटियों पर,..!
हे जीव!
याद कर वो कहावत
दान अगर एक हाथ से दे
तो दूसरे हाथ को भी पता न चले।
डॉ प्रीति समकित सुराना
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