#पहले बच्चे लौटते थे
बाहर से
सीधे माँ के बिस्तर पर
चक-चक तब तक
जब तक न दे दें पूरी खबर
पति दुकान से आते ही
चलाते मर्जी के चैनल
खाना पीना साथ करना है
तब तक हो हल्ला किलकिल
आज मजबूर होकर
कैद हैं पिंजरे में सब एक साथ
कितनी बातें करें
कितना शोर
क्या खेलें, क्या देखें टीवी में,
दिन रात एक से, बिल्कुल बोर
थोड़ी दूरी, थोड़ा स्पेस, थोड़ा इंतज़ार
बहुत जरूरी है हर रिश्ते में यार
अभी सब साथ तो हैं
मगर लगने लगा है
सबका अपना-अपना कोना है
और घर तनहाई से भर गया है,..!
हँसता-खेलता जीवन बिल्कुल ठहर गया है,..!
इस तन्हाई से वो शोर बेहतर था
आज आँखों के साथ जी भी भर गया है,..!
#डॉप्रीति समकित सुराना
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