Thursday 26 March 2020

कोरोना:- प्रकृति की चेतावनी

कोरोना:- प्रकृति की चेतावनी

कोरोना क्या है?:-

कोरोनावायरस (Coronavirus) कई प्रकार के विषाणुओं (वायरस) का एक समूह है जो स्तनधारियों और पक्षियों में रोग उत्पन्न करता है। यह आरएनए वायरस होते हैं। इनके कारण मानवों में श्वास तंत्र संक्रमण पैदा हो सकता है जिसकी गहनता हल्की (जैसे सर्दी-जुकाम) से लेकर अति गम्भीर (जैसे, मृत्यु) तक हो सकती है। इनकी रोकथाम के लिए कोई टीका (वैक्सीन) या विषाणुरोधी (antiviral) अभी उपलब्ध नहीं है और उपचार के लिए प्राणी की अपने प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है। अभी तक रोगलक्षणों (जैसे कि निर्जलीकरण या डीहाइड्रेशन, ज्वर, आदि) का उपचार किया जाता है ताकि संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे।

कोरोना वायरस का वंश:-

अल्फ़ाकोरोनावायरस (Alphacoronavirus)
बेटाकोरोनावायरस (Betacoronavirus) 
गामाकोरोनावायरस (Gammacoronavirus)डेल्टाकोरोनावायरस (Deltacoronavirus) 
वायरस के कोरोनाविरिडाए कुल के ये चार सदस्य है जहाँ अल्फ़ाकोरोनावायरस और बेटाकोरोनावायरस मूल रूप से  चमगादड़ में संक्रमण करने वाले वायरस हैं, वहाँ  गामाकोरोनावायरस और डेल्टाकोरोनावायरस पक्षियों और सूअरों में संक्रमण करने वाले वायरस के वंशज हैं।

हाल ही में WHO ने इसका नाम COVID-19 रखा:-

चीन के वूहान शहर से उत्पन्न होने वाला 2019 नोवेल कोरोनावायरस इसी समूह के वायरसों का एक उदहारण है, जिसका संक्रमण सन् 2019-20 काल में तेज़ी से उभरकर 2019–20 वुहान कोरोना वायरस प्रकोप के रूप में फैलता जा रहा है। हाल ही में WHO ने इसका नाम COVID-19 रखा।

वैक्सीन अनुसंधान:-

दुनिया भर के कई संगठन टीकों का विकास कर रहे हैं या ये कहे कि एंटीवायरल दवा का परीक्षण कर रहे हैं। चीन में, चीनी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीसीडीसी) ने नावेल कोरोनवायरस के खिलाफ टीके विकसित करना शुरू कर दिया है और निमोनिया के लिए मौजूदा दवा की प्रभावशीलता का परीक्षण कर रहा है।साथ ही, हांगकांग विश्वविद्यालय की एक टीम ने घोषणा किया है कि एक नया टीका विकसित किया गया है, लेकिन मनुष्यों पर क्लीनिकल ​​परीक्षण करने से पहले जानवरों पर परीक्षण किए जाने की आवश्यकता है। रूसी उपभोक्ता स्वास्थ्य वाचडॉग Rospotrebnadzor ने WHO की सिफारिशों को मानते हुए एक वैक्सीन का विकास शुरू किया।
पश्चिमी देशों में, संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) अप्रैल 2020 तक वैक्सीन के मानव परीक्षणों की उम्मीद कर रहा है, और कैम्ब्रिज-मैसाचुसेट्स आधारित मॉडेर्ना कंपनी CEPI के फंडिंग से mRNA टीका विकसित कर रहा है।

संक्रमित लोगों में ये लक्षण हो सकते हैं:-

बहती नाक
गले में खराश
खांसी
बुखार
सांस लेने में दिक्कत (गंभीर मामलों में)
कुछ मामलों में, यह रोग घातक भी हो सकता है. बुज़ुर्ग और ऐसे लोग जिन्हें दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं (जैसे कि अस्थमा, डायबिटीज़ या दिल की बीमारी) हैं उनके लिए यह वायरस ज़्यादा खतरनाक साबित हो सकता है।

आप संक्रमण को होने से रोक सकते हैं, अगर आप:-

1. अल्कोहल वाले सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करते हैं या साबुन और पानी से अक्सर अपने हाथ साफ़ करते हैं।
2.खांसने और छींकने के दौरान टिश्यू पेपर से या कोहनी को मोड़कर, अपनी नाक और मुंह को ढक रहे हैं।
3.ठंड या फ्लू जैसे लक्षणों वाले किसी भी व्यक्ति के साथ निकट संपर्क (1 मीटर या 3 फीट) से बचते हैं।
4. अगर आप में इस रोग के कुछ लक्षण हैं, तो पूरी तरह ठीक होने तक घर पर ही रहें।

आपको इन लक्षणों में राहत मिल सकती है, अगर आप:-

1. आराम करते हैं और सोते हैं
2. खुद को किसी तरह गर्म रखते हैं 3.गुनगुना पानी, तुलसी और गिलोय का काढ़ा, कॉफी आदि पीते हैं
4. खूब पानी या दूसरी तरल चीज़ें लेते हैं
5. गले की खराश और खांसी को कम करने के लिए, कमरे में ह्यूमिडिफ़ायर का इस्तेमाल करते हैं और गर्म पानी से नहाते हैं,।

भारत में कोरोनोवायरस के प्रकोप के कारण लगाया गया स्वेच्छा से जनता कर्फ्यू:-

जनता कर्फ्यू (Janata Curfew) जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू (अर्थात् निषेधाज्ञा) है। इस शब्दावली का सर्वप्रथम प्रयोग भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की जनता से आग्रह किया कि वे सभी आने वाले रविवार 22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक जनता कर्फ्यू का पालन करें। जनता कर्फ्यू को उन्होने "जनता के लिए, जनता द्वारा, खुद पर लगाया गया कर्फ्यू" कहकर परिभाषित किया। 
जनता कर्फ्यू अंग्रेजी के लॉकडाउन से भिन्न है। जनता कर्फ्यू व्यक्ति पर अनिवार्य नहीं होता जबकि लॉकडाउन शासन द्वारा जनता पर आरोपित किया जाता है तथा जनता द्वारा इसका पालन करना अनिवार्य होता है।

जनता कर्फ्यू का स्वागत:-

वर्गों, विचारधाराओं की सारी सीमाओं को तोड़ते हुए पूरे देश ने प्रधानमन्त्री की इस पहल का एक मत से स्वागत किया। कई लोगों ने जनता कर्फ्यू को लगातार एक सप्ताह के लिए जारी रखने की इच्छा जताई। 22 मार्च की पूर्व सन्धया को विभिन्न टीवी चैनलों में चले संवादों में भी कई विद्वानों ने जनता कर्फ्यू को लगातार एक सप्ताह के लिए जारी रखने की बात को एक अत्यावश्यक कदम बताया। परन्तु वहीं, गरीब वर्ग के कई लोगों के लिए यह चिन्ता का कारण है कि लम्बे समय तक बिना कमाई के वे कैसे अपनी आजिविका चलाएंगे। शायद इसी बात को ध्यान में रखकर जनता कर्फ्यू के लिए सिर्फ एक दिन का समय उचित माना गया।
22 मार्च, 2020 को जनता कर्फ्यू 14 घंटे के लिए रहा। पुलिस, चिकित्सा सेवाओं, मीडिया, होम डिलीवरी पेशेवरों और अग्निशामकों जैसी आवश्यक सेवाओं से सम्बन्धित लोगो को छोड़कर सभी को जनता कर्फ्यू में हिस्सा लेना आवश्यक है (परन्तु अनिवार्य नहीं)। 

शाम 5 बजे सेवाकर्मियों के लिए श्रद्धा की अभिव्यक्ति:-

जनता कर्फ्यू के साथ-साथ मोदी जी ने ठीक शाम 5:00 बजे सभी स्वास्थ्य एवं सेवाकर्मियों, योद्धाओं एवं पुलिस के सम्मान और हौसला बुलन्द करने के अपने घर के द्वार से ताली, घँटी, शँख बजाने का आव्हान भी किया।
शाम 5 बजते ही देश भर में थालियों, घंटियों तथा शंख की अवाज गूंजने लगी। अपने घरों के मुख्य द्वारों तथा बालकनियों पर खड़े होकर लोगों ने लगातार कई मिनटों तक ताली, थाली, घंटी तथा शंख बजाए। 
पूरे देश को एकजुट देख कई बहुत प्रफुल्लित थे तो कई बहुत भावुक भी हुए। सभी को भारतीय होने पर गर्व हो रहा था। 

भारत लॉक डाउन:-

पूरे विश्व के अतिविकसित देशों की स्थिति को देखते हुए 24 मार्च मंगलवार की रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने अपने संबोधन में कहा कि आज रात 12 बजे से पूरे देश में संपूर्ण लॉक डाउन होने जा रहा है। इस दौरान पीएम जनता कर्फ्यू के बाद कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए कड़े फैसले का एलान किया। पीएम मोदी ने कहा कि इस दौरान सिर्फ एक और एक काम करें कि बस अपने घर में रहें। किसी सूरत में बाहर न निकलें। देश के हर राज्य को, हर केंद्र शासित प्रदेश को, हर जिले, हर गांव, हर कस्बे, हर गली-मोहल्ले को अब लॉकडाउन किया जा रहा है। इन प्रयासों को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि कुछ लोगों की लापरवाही, कुछ लोगों की गलत सोच, आपको, आपके बच्चों को, आपके माता पिता को, आपके परिवार को, आपके दोस्तों को, पूरे देश को बहुत बड़ी मुश्किल में झोंक देगी। 
कोरोना को फैलने से रोकने के लिए अगर हम लोग सोशल दूरी बनाकर रखेंगे या बाहर कम निकलेंगे और दूसरों के संपर्क में नहीं आएंगे तो कोरोना वायरस फैलने का खतरा बहुत कम हो जाएगा।

कोरोना के कारण भारत में 21 दिन का लॉकडाउन बहुत जरूरी है क्योंकि:-

भारत में होता है ये सब?

1. आस्था के नाम पर लंगर, भंडारा, प्रसादी में अस्वच्छता और भीड़भाड़, भगदड़ सही है?
2. विवाह आदि परिवारक समारोहों का संक्षिप्तीकरण जो आर्थिक विषमता को भी परिलक्षित करता है, ईर्ष्या, द्वेष और प्रतिद्वंद्विता को भी बढ़ावा नहीं देता ?
3. धार्मिक स्थलों का तेजी से निर्माण केवल पत्तरों पर नाम टंकित करवाने के लिए?
4. क्या अस्पतालों, स्कूलों और व्यवस्थित यातायात और सड़क निर्माण से आवश्यक है आम सभाएं, मंदिरों के शिलाविन्यास और लोगों की आस्था से खिलवाड़?
5. देश घूम न पाए अडोस-पड़ोस से वैमनस्य है लेकिन स्टेटस के चलते विदेश भ्रमण आम बात हो गई है क्या यही पैसा देश के पर्यटन व्यवसाय को सुदृढ़ करने हेतु काम नही आता?
6. खुद को हिन्दू कहने वाले माँस-मदिरा, जुआ-सट्टा, कालाबाज़ारी और कालाधन लेकर सफेदपोश रहकर खुद से नज़र मिला पाते हैं?
7. खुद से ज्यादा दूसरों की जिंदगी में रुचि रखने वाले लोग क्या खुद पर, खुद के परिवार पर ध्यान दे पाते हैं, सामंजस्य बिठा पाते हैं??
---------कतई नहीं-------

"मानव को प्रकृति ने दी है चेतावनी"

ये इक्कीस दिन बहुत महत्पूर्ण है भारत में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए क्योंकि 21 दिन लॉकडाउन के बीच 15 दिन पड़ रहे है बड़े त्योहार हैं।
-25 मार्च बुधवार गुड़ी पड़वा, चैत्र नवरात्रि प्रारंभ, घटस्थापना, भगवान झुलेलाल जयंती
-26 मार्च गुरुवार- चेटी चंड
-27 मार्च शुक्रवार- गणगौर तीज व्रत, मत्स्यावतार जयंती
-28 मार्च शनिवार- मासिक विनायक चतुर्थी
- 1 अप्रैल बुधवार- दुर्गा महाष्टमी
- 2 अप्रैल गुरुवार- राम नवमी, दुर्गा महानवमी
- 3 अप्रैल शुक्रवार- चैत्र नवरात्रि पारणा
- 4 अप्रैल शनिवार- कामदा एकादशी
- 5 अप्रैल रविवार- प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
- 8 अप्रैल बुधवार- हनुमान जयंती
- 10 अप्रैल शुक्रवार- गुड फ्राईडे
- 11 अप्रैल शनिवार- संकष्टी चतुर्थी
- 12 अप्रैल रविवार- गुरु तेगबहादुर जयंती
- 13 अप्रैल सोमवार- मेष संक्रांति, कंवरराम जयंती
- 14 अप्रैल मंगलवार- डॉ.भीमराव अंबेडकर जयंती
इन सब त्योहारों में बहुत भीड़ रहती है जिससे कोरोना वायरस फैलने का डर रहेगा।

आप यथाशक्ति दान-धर्म करना चाहते हैं?

1. मानवता कायम रखें।
2. रोटी, कपड़ा और आवास का दान दें।
3. शिक्षा, कला, विशिष्टताओं को विस्तार दें।
4. मंदिरों की बजाय अस्पतालों एवं शिक्षालयों का निर्माण करवाएं।
5. जूठन न छोड़ें।
6. जरूरतमंदों की सहायता करें।
7. अनाथ बच्चों, वृद्धों और वृक्षों को संरक्षण दें।
8. साक्षरता, स्वच्छता, स्वपोषण, संस्कृति, संस्कार, स्वावलंबन, सक्षमीकरण के प्रति जागरूकता फैलाएं, रोजगार के अवसर प्रदान करें।
9. प्रवचनकर्ताओं, बाबागिरी, मठाधीशों और भ्रष्टाचारियों से दूर रहें।
10. जो बातें अमल कर सकते हैं वही कहें।

गलतफहमी:-

कुछ लोग इस गलतफहमी में हैं कि सोशल डिस्‍टेंसिंग केवल बीमार लोगों के लिए आवश्यक है। ये सोचना सही नहीं कि सोशल डिस्‍टेंसिंग हर नागरिक के लिए है, हर परिवार के लिए है, परिवार के हर सदस्य के लिए है।  पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि कोरोना से बचने का इसके अलावा कोई तरीका नहीं है, कोई रास्ता नहीं है। कोरोना को फैलने से रोकना है, तो इसके संक्रमण की सायकिल को तोड़ना ही होगा। कोरोना से प्रभावित रहे चीन, अमेरिका, इटली, ईरान आदि देशों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इन सभी देशों के दो महीनों के अध्ययन से जो निष्कर्ष निकल रहा है, और एक्सपर्ट्स भी यही कह रहे हैं कि कोरोना से प्रभावी मुकाबले के लिए एकमात्र विकल्प है सामजिक दूरी। समाज के लोग एक दूसरे से अलग-थलग रहेंगे तो यह बीमारी भी उनसे दूर रहेगी।

वायरस से दूर और खुद के करीब लाती है सोशल डिस्टेंसिंग:-

कुछ फायदे:-

1. खुद के साथ समय बिताने का मौका: रोजमर्रा की भागदौड़ भरी जिंदगी में शायद ही किसी को वक्त मिल पाता हो कि वह खुद से बात से बात करे और अपना मूल्यांकन करे। ऐसा कई मनोचिकित्सक भी मानते हैं कि खुद से बात करना इंसान के लिए बहुत जरूरी होता है।
2. पूरी कर सकते हैं शौक: सोशल डिस्टेंसिंग के दौरान जो वक्त आपको अपने लिए मिलता है, उसमें आप अपनी उन हॉबीज को पूरा कर सकते हैं जो व्यस्त जिंदगी के चलते कहीं पीछे छूट गई थी।
3. जो पल पीछे छूट रहे थे: हममें से कई लोग हैं जो बिजी होने के नाते अपने बच्चों के बचपन के उन कीमती पलों को मिस करते हैं जो लौटकर दोबारा नहीं आएंगे। तो इन दिनों में आप अपने बच्चों के साथ उन मस्तीभरे पलों को जी सकते हैं। इससे जहां आपका मन तरोताजा होगा, तो वहीं बच्चों के साथ खेलकर आपके शरीर में भी फुर्ती आ जाएगी।
4. वारयस से भी दूरी: सोशल डिस्टेंसिंग में आप किसी शख्स से कम से कम तीन मीटर तक दूर रहते हैं और हाथ वगैरह भी नहीं मिलाते हैं। तो किसी से वायरस तो क्या, किसी के शरीर के जर्म्स तक आप तक नहीं पहुंचते हैं।

इंफेक्शन कम फैले और बीमारी थम जाए, इसलिए एक-दूसरे से कम संपर्क रखने को ही सोशल दूरी कहा जाता है। बहुत सारे लोगों का एक साथ जमा होना, कोई बिल्डिंग बंद करने और प्रोग्राम कैंसल करना भी इसी का हिस्सा है। कोरोना वायरस को रोकने के लिए सोशल दूरी बहुत जरूरी है।

हम प्रकृति को छेड़ते रहते हैं उसके स्वभाव के विपरीत
प्रकृति ने दी है सजा अकेले में समय रहा है बीत
अब भी जो हम न समझे तो चुग जाएगी चिड़िया खेत
मानवता हारेगी और एक वायरस की हो जाएगी जीत।

डॉ प्रीति समकित सुराना

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