मौन से बेहतर है कह देना
क्योंकि
मौन तात्कालिक समाधान हो सकता है
स्थायी नहीं
यदि आप मौन रहेंगे
तो
चुप्पी के हज़ारों अर्थ निकाले जाएँगे
जबकि
उनमें से सही अर्थ तक
शत प्रतिशत
कोई भी नहीं पहुँच पाएगा
क्योंकि
उन अर्थों में लोगों की व्यक्ति सोच मिली होगी।
डॉ प्रीति समकित सुराना



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