#हवाओं पर लिखा मैंने
एक बेनाम खत
तुम्हारे लिए,..
मेरी सखियों ने पूछा
वो पहचानेगा कैसे
जब इस पर तुम्हारा नाम नहीं,..
मैंने कहा है
तुम पहचानते हो
मेरी आहट
मेरी महक
मेरे जज़्बात,..
फिर इस खत में तो
सबकुछ लिखा है
सिवाय मेरे नाम के,..
सुनो!
मुझे तो ये भी यकीन है
तुम पहचान लोगे मेरी लिखावट भी
क्योंकि इन्हीं उंगलियों से एक दिन
मैंने तुम्हारे सीने पर
लिखा था अपना नाम,..!
#डॉ प्रीति समकित सुराना
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