संस्कारों की किताब बनकर
बचपन को संवारता शिक्षक।
आदर्शों की बगिया बनकर
महकता और महकाता शिक्षक।
नित नए प्रेरक आयाम लेकर
जीवन सार्थक बनाता शिक्षक।
संचित ज्ञान खजाना देकर
प्रतिभाओं को निखारता शिक्षक।
दुष्कर्मों से बचने और बचाने की
जरूरी बात सिखाता शिक्षक।
देशप्रेम की खातिर मिटने और
बलिदान की राह दिखता शिक्षक।
प्रेम सरिता की बनकर धारा
कर्तव्य अपना निभाता शिक्षक।
जीवन दर्शन का स्रोत बनकर
जीवन सफल बनाता शिक्षक।
समय, चिंतन और सुविचारों का
पर्याय बन जीना सिखाता शिक्षक।
माता-पिता से अनिवार्य भूमिका
निभाकर सम्मान पाता शिक्षक।
प्रीति सुराना
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