जेहन में नाम नहीं आता कोई तेरे सिवा
ऐसे साथ नहीं निभाता कोई तेरे सिवा
करती हूँ कोशिशें कि संभालूं खुद को
पर हौसला नहीं बढ़ाता कोई तेरे सिवा
करती हूँ लेखा-जोखा जब बीते लम्हों का
नहीं मिलता किसी का खाता कोई तेरे सिवा
पूछती हूँ सबसे खूबी और कमियाँ अपनी,
सच-सच नहीं बताता कोई तेरे सिवा
जीने की बात तो सभी करते हैं 'प्रीत'
मुझमें ख़्वाहिश नहीं जगाता कोई तेरे सिवा
प्रीति सुराना
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