Thursday, 12 December 2019

मत कर!



आँखों मे नमी छुपाकर यूँ ही मुस्कुराने की बात मत कर,
खुशियाँ मिली है कुछ पल तो बेवजह शह-मात मत कर।

दर्द को उठाकर अभी रख दे दिल के किसी कोने में संभालकर
गैरों को दिखा-दिखाकर अपने सगे दर्द से कोई घात मत कर।

अभी तो रौशन है ये सारा जहान सूरज की तेज रौशनी से,  
जुगनू, दीपक, चंदा-तारे याद करके दिन को रात मत कर।

मानती हूँ हकीकत यही है हर खुशी की, हर रौशनी की अंततः,
पर सुन तू अभी से सोच सोचकर हलकान हयात मत कर।

मैंने 'प्रीत' के पल-पल अपनी जिंदगी के दामन में करीने से सजाए हैं,
जी ले जी भर अभी, कल क्या होगा इस फिक्र में आज बरबाद मत कर।

प्रीति सुराना

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