Friday, 29 November 2019

बैसाखी नहीं मेरे अपने

अपने

हमेशा रहता है दर्द मेरे पावों में,
तीखी सी जलन है भी घावों में
बैसाखी नहीं, कुछ अपने हैं मेरे
जो थामे रहते हैं मुझे राहों में,.!

प्रीति सुराना

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