Sunday 13 October 2019

फिर भी ख्वाब सुनहरे होंगे

फिर भी ख़्वाब सुनहरे होंगे

ज़ख्म बहुत ही गहरे होंगे
ख्वाबों पर कई पहरे होंगे

देख समझकर भी जो चुप हैं
वो अंतर्मन से बहरे होंगे

दिखता चाहे जो भी हो पर
एक चेहरे पर कई चेहरे होंगे

खुशी झलक दिखलाए जहाँ पर
उस मोड़ पे गम भी ठहरे होंगे

मन की हार छुपाई होगी
परचम तब जीत के लहरे होंगे

आज अगर टूटा है मंजर
फिर भी ख्वाब सुनहरे होंगे

प्रीति सुराना

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