Tuesday, 29 October 2019

मैं माँ हूँ

"मैं माँ हूँ"

कई बार सोचती हूँ
कितने उतार-चढ़ाव देखे जीवन में,
कितना कुछ पाया-खोया,
पर हर बार
आँखें भीगती है तो अपनों के लिए,..!
एक बार किसी ने कहा था
आजकल रिश्ते सिर्फ मतलब के होते हैं,
रिश्ते सफलता की सीढ़ी होते हैं
जो सफलता के बाद तोड़ दिए जाते हैं,
लोग भ्रम में जीते हैं
कि उनका दायरा बड़ा है,..!
सच कहूँ
तो ऐसी हर बात को सुनकर
मैं रुकी
और सोचा भी,
भ्रमित और निराश भी हुई,..!
पर आज दीप पर्व पर
पूरा परिवार
पूरे मित्र परिवारों के साथ-साथ
बच्चों के मित्रों को अपने करीब
गहराई से जुड़ा पाती हूँ
मेरे तीन बच्चे कब बड़े या बालिग हो गए
पता ही न चला
पर तीनों बच्चों ने भी
जिस तरह मित्रता का मोल समझा
उसके लिए नत मस्तक हूँ!
चेन्नई, बंगलोर, पूना, इंदौर,
नागपुर, बालाघाट, केवलधाम,
भोपाल, जबलपुर, वारासिवनी,
जाने कहाँ से कहाँ पहुँच गए मेरे सारे बच्चे!
ये भी याद नहीं कौन किसके साथ पढ़ा है
या कौन कैसे आकर मुझसे मिला है,..!
बस छलछला जाती हैं आँखें ये सोचकर
कितने संबोधन
माँ, मम्मी, मम्मा, प्रीति माँ, प्रीतिमा, बई, बड़ी माँ,भाभी माँ!
इन बच्चों से मुझे मिले हैं!
पूरी दुनिया कह दे मुझमें लाख बुराइयाँ है
ये बच्चे महसूस करवाते हैं
जैसी भी हूँ मैं ईश्वर की अनुपम कृति हूँ
क्योंकि
"मैं माँ हूँ"

प्रीति सुराना
लव यू ऑल

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