Monday, 30 September 2019

*मेरी अब तक प्रकाशित पुस्तकें और मैं*

*मेरी अब तक प्रकाशित पुस्तकें और मैं*

*मन की बात* कहने को
*मेरा मन* हरदम तरसा

*दादा जी की वंश वाटिका*
*कर्म इकतीसा* में मर्म बरसा

फिर *कतरा कतरा मेरा मन*
*दृष्टिकोण* में हुआ मुखरित

*विचार क्रांति* कैसे लाएं
*काश! कभी सोचा होता*

*गद्य लेखन का महत्व* भी
*सुनो! बात मेरे मन की*

*छोटी छोटी बातें* सिखलाता
हमारा *अन्तरा शब्द शक्ति*

मेरी किताबों में मैं ही हूँ
मेरी अपनी परिभाषा है

कहा-अनकहा  मन का
मेरी आशा है निराशा है

प्रीति सुराना

1 comment: