गहनतम पीर है
नयनभर नीर है
रात लम्बी बहुत
मान लो चीर है
पल पल चुभ रहे
जहर के तीर है
घुटन है दर्द है
शेष ना धीर है
ग़ज़ल कह दे अभी
कौन सा मीर है
सह मिला जो तुझे
प्रीत तू वीर है।
प्रीति सुराना
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गहनतम पीर है
नयनभर नीर है
रात लम्बी बहुत
मान लो चीर है
पल पल चुभ रहे
जहर के तीर है
घुटन है दर्द है
शेष ना धीर है
ग़ज़ल कह दे अभी
कौन सा मीर है
सह मिला जो तुझे
प्रीत तू वीर है।
प्रीति सुराना
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