Monday, 22 July 2019

अकेलापन

ये अकेलापन

सब कुछ अच्छा है
आपका काम,
आपके इरादे,
आपका व्यवहार,
आपके साथी,
आपका परिवार,
आपके लक्ष्य,
आपकी सोच,

फिर भी कहीं कुछ है
जो अच्छा नहीं है,

आपका काम आपकी पसंद है
आपके अपनों की नहीं,
आपके इरादे आगे बहुत आगे जाने के हैं
पर रिश्तों और जिम्मेदारियों की बेड़ियाँ साथ है,
आप लोगों का बुरा से बुरा व्यवहार सहकर चुप रहो
पर बिल्कुल वही शब्द, वही बात, वही तरीका आपके लिए अक्षम्य है,
आपका साथी आपका साथ चाहता है
आपके साथ रहना उसकी इच्छा नहीं है,
आपका परिवार आपका सम्पूर्ण समर्पण चाहता है
पर परिवार का एक भी सदस्य आपको वैसे नहीं जानता जैसे आप जीना चाहते हो,
आपका लक्ष्य आप सबको बता कर देखें
बिना किसी शर्त कोई आपके लिए सहायक नहीं बनता
आपकी सोच सिर्फ आपकी अपनी है
कोई और न सोच का साथी है, न समझ का, न सुख का, न दुख का, न जिम्मेदारी का,...!

जो कहता है मेरे पास सब कुछ है
दरअसल उसके भीतर डर के सिवा कुछ नहीं है,..!

और
एक डरावने हादसे से कम नहीं होता
ये अकेलापन,....!

प्रीति सुराना

1 comment:

  1. बहुत सुंदर कविता। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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