Thursday 14 March 2019

आलोचना से डरें नहीं

अन्तरा शब्दशक्ति
हिन्दी में किये गए हर सृजन का स्वागत करता है,
क्या हुआ अगर आप नए है
पत्थर भी मूरत बनते हुए धीरे-धीरे ही निखरता है,
आलोचना से डरें नहीं
उसे स्वीकार करके सीखिए नित कुछ न कुछ नया,
वो कभी नहीं संवरता
जो अपने निंदकों से भागता, चिढ़ता या डरता है!

डॉ. प्रीति सुराना

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