सुनो!
मैंने सोचा
आज बनाऊँ एक फेहरिश्त
आरोपों-प्रत्यारोपों की,..
शिकवे-शिकायतों की,..
अपेक्षाओं और उपेक्षाओं की,..
बीते दिनों की कसक याद करती रही,
सोचती रही लिखती रही
पर बन गई
एक अलग ही तरह की फेहरिश्त
जिसमें लिखा था,...
मेरी बुराई वाचालता
मेरी अच्छाई मेरा प्रेम
मेरी ताकत मेरी मेहनत
मेरी कमजोरी भावों का अतिरेक
मेरी गलती मेरा गुस्सा
मेरा सही रिश्तों का महत्व
मेरा सच मेरी ईमानदारी
मेरा झूठ मैं खुश हूँ
मैं पाना चाहती हूँ अपनापन
मैं खोना नहीं चाहती अपने
मेरा सपना मेरी पहचान
मेरा डर बिखराव
मेरा कल मेरे हाथ कुछ भी नहीं था
मेरा भविष्य मैं सुधार सकती हूँ,...!
बस नहीं लिख पाई सूची में
वो पल जो खो दिया
वो पल जब दिल रो दिया
वो आँसू जो आज भी पलकों पर है
वो हँसी जो देती हिम्मत
वो उम्मीद जो बनती जीने की वजह,..
इस पल सबकुछ अशांत अनमना अनकहा अनसुना,...!
प्रीति सुराना
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने का कदम और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteबढ़िया रचना
ReplyDeleteThanks for sharing such a wonderful post with us,keep sharing, we are India based book publishing company we are publishing,printing and marketing services Self Book Publisher in India
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