बहुत से दर्द हैं
और
जिंदगी को खत्म करने की
वजहें भी है हज़ार
पर कमबख्त
हर बार कोई लम्हा
आकर
जीने को दे जाता है नया बहाना,..
सुनो!
यूँ मुझे रोक लेने के कितने बहाने बनाओगे
और कब तक
हाँ!
सुनना चाहती हूँ तुम्हारा जवाब
फिर एक लम्हा
और जी जाने को,... बोलो न!!
प्रीति सुराना
यही जीवन है... बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
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