Saturday 29 December 2018

चलो अच्छा है

चलो अच्छा है
सीख लिया तुमने
जीना मेरे बिना
कम से कम
मेरी जां को जाते-जाते
ये सुकून तो रहेगा
कि जी लोगे मेरे बिना,...!
मेरे बाद,...!

मेरा
बचपन याद है मुझे
पापा ने चलना सिखाते हुए
उंगली छोड़ी थी
इसलिए नहीं
कि मैं गिर जाऊँ
बल्कि इसलिए
कि मैं संभालना सीख जाऊँ,..!

सुनो!
परिस्थितियाँ सब कुछ सिखा देती है
देखों न!
आखिर सिखा ही दिया
तुम्हे जीना
और मुझे मर-मरकर जीना,...!

प्रीति सुराना

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