सुनो!
कुछ नहीं है पास मेरे
जो दे पाऊं तुम्हें
सिर्फ
कुछ टूटे सपने
कुछ अधूरे अरमान
कुछ अजन्मी ख्वाहिशें
और
एक अटूट विश्वास
ये सब होंगे पूरे
तुम्हारे साथ,...
हो सके तो
देना साथ
मेरे पूरक होकर
करना पूरा
हमेशा
मेरी अपूर्णता को,..
मैं मैं न रहूँ
तुम तुम न रहो
फिर
मैं तुम बने रहे
हमेशा-हमेशा
"हम"
प्रीति सुराना
बहुत खूब
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