Wednesday 4 July 2018

थक गई हूँ

थक गई हूँ
ठहरना चाहती हूँ
टूट रही हूँ
संभालना चाहती हूँ
एक आईना
ला दो मेरे लिए
बिखर रही हूँ
संवरना चाहती हूँ,..

डॉ. प्रीति सुराना

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. निमंत्रण विशेष : हम चाहते हैं आदरणीय रोली अभिलाषा जी को उनके प्रथम पुस्तक ''बदलते रिश्तों का समीकरण'' के प्रकाशन हेतु आपसभी लोकतंत्र संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ जुलाई २०१८ को अपने आगमन के साथ उन्हें प्रोत्साहन व स्नेह प्रदान करें।सादर 'एकलव्य' https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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