Wednesday 20 June 2018

नया सवेरा

*नया सवेरा*

गहन चिकित्सा कक्ष से रोहित को बाहर सामान्य कक्ष में स्थानांतरित करते हुए डॉ वर्मा बहुत संतुष्ट नज़र आ रहे थे वहीं मिताली और रोहित के परिजन बहुत बेचैन से थे।
डॉ. वर्मा कुछ हिदायतों के बाद वहाँ पंद्रह मिनट परिजनों को मिलने की अनुमति देकर चले गए। डॉ के जाते ही रोहित के मम्मी पापा जो अभी-अभी रोहित की तबीयत बिगड़ने की बात सुनते ही पहुंचे थे एकदम से बिफर पड़े कि ऐसा क्या किया तुमने कि हालत अचानक इतनी बिगड़ गई। 7 दिन से अस्पताल में हो और खबर तक नहीं की। यहाँ तक कि मिताली भी यही समझ रही थी कि गुस्से में तुम व्यावसायिक यात्रा पर चले गए और उसे बताया नहीं। वो तो भला हो डॉ वर्मा का कि कल रात उन्होंने हमें और हमने मिताली को बताया। एक बार तो इस बेचारी के बारे में सोचा होता।
इधर मिताली बिलखकर रो पड़ी,..
तब रोहित ने बड़ी हिम्मत की और उसके गले से धीमे से आवाज़ निकलनी शुरू हुई- ' 'माँ बाबूजी चिंता न करें मिताली की फिक्र मुझे बहुत ज्यादा है और आप सब की भी। उस दिन मैं गुस्से में घर से निकला था और सामान भी साथ लिया ताकि मिताली समझे कि मैं काम के सिलसिले में जा रहा हूँ। डॉ वर्मा से बात करके मैं सीधे यहां आ गया। तंबाकू और सिगरेट छोड़ना मेरे लिए आसान नहीं था पर मिताली ने उस दिन कह ही दिया कि नशा या मुझमें से किसी एक को चुनना होगा क्योंकि उसकी गंध से मेरी जान निकलती है। मिताली और मेरे होने वाली संतान की खातिर मुझे ये कठिन निर्णय लेना ही पड़ा। दो दिन बाद ही मेरी हालत बिगड़ गई और मुझे आपातकालीन कक्ष में ले जाया गया तब मैं डॉ को घर का नम्बर देकर सूचना देने को कहता उसके पहले ही बेहोश हो गया और डॉ की गहन चिकित्सा और देखभाल के कारण ही कल शाम मुझे होश आया पाया। ये 5 दिन मैं नहीं जानता मेरे साथ क्या हुआ या क्या हो जाता पर आज मेरे जीवन की एक नई शुरुआत है।'
'मेरा यकीन करो मिताली मेरे लिए नशा छोड़ना आसान नहीं था लेकिन तुमसे अलग होकर जीना नामुमकिन था। और तुम्हारे गुस्से के कारण ही मेरे जीवन का *नया सवेरा* हो पाया है जिसके लिए तुम्हारा शुक्रिया।'
इतना बोलते-बोलते थक गया रोहित और आँखे बंद कर ली पर गहन संतुष्टि के भाव उसके चेहरे पर स्मित मुस्कान के साथ थे जिसने सभी को चिंतामुक्त कर दिया।

डॉ प्रीति सुराना
वारासिवनी (मप्र)

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