सुनो!
मेरे
जीने की
एकमात्र
वजह
हो
'सिर्फ तुम'
सौ दर्द
हज़ार मुसीबतें
लाख ठोकरें
तमाम टूटी ख्वाहिशें
अनगिनत आँसू
सब बेअसर
जब किसी पल
अचानक तुम
हर शिकवा भुलाकर
गले से लगाकर
सिर्फ इतना कह दो
मैं हूँ न!
प्रीति सुराना
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