सुनो!
सब कुछ सुनाया तुम्हें,..
पल-पल की बातें,
कल, आज और कल के दिन और रातें,
सुख और दुख की मुलाकातें
मिलन और विछोह की सौगातें,
जिंदगी से मिली शह और मातें,
परिक्षा की कड़ी धूप और अकेले में आसुओं की बरसातें,
जब अदृश्य रहे तुम
तब भी रहे मुझसे तुम्हारे
अनजान से ही सही मगर बहुत गहरे नाते,...
काश तब न सही
अब तो तुम ये समझ पाते,...
ज़रा फुरसत में सुनना ये गीत एक बार,..
तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई
यूँही नहीं दिल लुभाता कोई
जाने तू या जाने न
माने तू या माने न,....
फिर नहीं दोहराओगे कोई सवाल,..
सच,..? क्या? क्यों? कैसे?
किसी बात पर😊
प्रीति सुराना
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