Thursday 29 March 2018

चलती का नाम गाड़ी

हाँ!
सचमुच,..

मैं ये मान कर चलती हूँ,
मेरा लक्ष्य दूर है,
इसलिए लंबे से रास्ते में
कई उतार-चढ़ाव
और मोड़ आएंगे,
जिसमें बहुत से लोग
कभी हाथ थामेंगे
तो कभी छोड़ देंगे,..

मैं हर परिस्थिति से
निकलने का
सिर्फ एक ही मार्ग जानती हूं
कि हमेशा याद रखती हूं
मैं अकेली हूँ
तब न किसी
अपेक्षा का भाव होता है
न उपेक्षा का,..

और
तब
मैं खुद ही
समय के साथ
अपनी दशा
और दिशा
बदलने का प्रयास
जारी रखती हूं,..

माना ये मानव मन
कुछ देर आहत रहता है,
पर पंछी की तरह
फिर से पंख समेटना, फड़फड़ाना
और उड़ना सीख लेता है,
और यदि ऐसा नहीं कर पाता
तब भी वो खुद जनता है
कि अंत सामने है।

मैं उड़ना जानती हूं
और जब तक
सामर्थ्य है
कोशिश करती रहूंगी,..
छोटे-मोटे हादसों से
जीवन के संघर्ष
नहीं रुकने चाहिए
न मेरे,न तुम्हारे,न किसी और के,...

सुना तो तुमने भी होगा
"चलती का नाम गाड़ी"

प्रीति सुराना

0 comments:

Post a Comment