Thursday 15 March 2018

जेलर का रुमाल

*जेलर का रुमाल*

बचपन मे माता पिता का एक हादसे में देहांत हो गया। सुरेखा को भैय्या ने पाला पोसा। भैय्या से दस साल छोटी है सुरेखा। बहुत लाडली भी है। पर परिस्थितियों ने भैय्या को बहुत कठोर और अनुशासन प्रिय बना दिया था।
सुरेखा की सहेलियों ने भैय्या का नाम जेलर रख दिया था। कुछ सालों बाद भैय्या की शादी हुई तब सुरेखा ग्यारहवीं कक्षा में थी। सखी सहेलियों की बातों ने सुरेखा के मन मे डर बिठा दिया था कि भाभी के आने के बाद भैय्या और दूर हो जाएंगे।
भीतर ही भीतर घुटती सुरेखा बीमार पड़ गई। न वो भाभी से कुछ कहती न भैय्या से।बुखार उतरता ही न था। एक रात जब वह बेहोश हो गई तब भाभी और भैय्या पूरी रात सिराहने बैठे रहे। सुबह होते ही भैय्या डॉक्टर को लेने गए तभी सुरेखा की बेहोशी टूटी।
भाभी पास ही उसका हाथ थामे बैठी थी। सिर पर गीला रुमाल था। घबराकर सुरेखा ने पूछा भाभी मुझे क्या हुआ था? और ये रुमाल तो भैय्या का है न? भैय्या कहाँ है?
भाभी ने सिर पर हाथ फिराते हुए कहा 'सुरेखा तुम रात भर बेहोशी में बड़बड़ाती रही तुम्हारे भैय्या डॉक्टर को लेने गए हैं। तब तक मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ।'
'सुरेखा और घबरा गई।'
भाभी ने हाथ मे हाथ लेकर कहा 'सुरेखा तुम्हारे भैय्या की जान तुममें बसती है और मेरी जान तुम्हारे भैय्या में। तुम ये क्यों सोचती हो कि मेरे आने से तुम्हारे भैय्या बदल जाएंगे।'
'पगली मुझ अनाथ को तुम्हारे भैय्या ने अपनाया ये मेरा सौभाग्य है और उससे बड़ा सौभाग्य मुझे तुम्हारे रूप में छोटी बहन मिली है। तुम डर से बाहर निकलो देखना बिल्कुल ठीक हो जाओगी।'
'जानती हो रात भर तुम्हारे जेलर भैय्या तुम्हारे सिरहाने बैठे रहे। और अपना रुमाल भिगोकर तुम्हारा बुखार कम करने की कोशिश करते रहे।'
'वो तुम्हे बहुत प्यार करते हैं, मुझसे भी ज्यादा। और मैं भी,... अब जल्दी से ठीक हो जाओ। तुम्हारे भैय्या बहुत दुखी हैं।'
'सुरेखा भाभी के गले लगकर रो पड़ी।'
तभी भैय्या डॉक्टर को लेकर आ गए। डॉक्टर ने बुखार नापा तो जरा भी बुखार नहीं था। बस जरा सी कमजोरी थी।
डॉक्टर को अचरज हुआ क्योंकि जो हालत भैय्या ने बताई थी ऐसे ठीक हो जाना जादू जैसा था। आखिर डॉक्टर ने पूछ ही लिया कि ये कैसे हुआ।
सुरेखा ने उस कमजोरी में भी हँसते हुए कहा अंकल *जेलर के रुमाल* ने मेरी तबीयत ठीक कर दी।
भैय्या ने झट से सुरेखा और अपनी पत्नी को गले लगा लिया और तीनों के आँसू रुक नहीं रहे थे। डॉक्टर ने परिस्थिति समझते हुए कुछ ताकत की दवाइयां लिखी और मुस्कुराते हुए कहा कि इन दवाइयों के साथ जेलर का प्यार दीजियेगा *जेलर के रुमाल* की जरूरत अब नहीं पड़ेगी।

प्रीति सुराना

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