Wednesday, 24 January 2018

पाथेय

पीड़ा का पाथेय जुटा कर चलती हूँ
संतुष्टि को ही ध्येय बना कर चलती हूँ
उड़ना चाहूँ तो आसमान भी मेरा ही है
पर धरती पर पांव जमा कर चलती हूँ

प्रीति सुराना

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