Friday, 8 December 2017

कर्तव्यपथ

कर्तव्यपथ

पेशानी पर सिलवटें
और
चेहरे की शिकन
मेरे भीतर चल रहे
द्वंद का दर्पण हो सकते हैं,.

मेरे माथे के बल
और
मेरे चेहरे की झुर्रियां
उम्र और अनुभवों का
लेखाजोखा हो सकती हैं,.

पर
आज भी
मन में हौसला
और आत्मविश्वास
मेरी वही पूंजी है,.

जिससे सांसों का व्यापार
बिना रुके चलता है,
मेहनत का प्रतिफल है
अपनों का प्रेम, विश्वास,
और सफलता का लाभ,.

हाँ!
हो जाती है
टूट-फूट, ह्रास-हानि भी
कभी-कभी
विश्वास से जुड़ी जो हैं सांसे,.

पर तुम विश्वास करो
तुम्हारा साथ
करता है भरपाई
तुम्हारा प्रेम हमेशा बनता है
'उत्प्रेरक',.

जो हारने नहीं देता
रुकने नहीं देता
और
मैं सतत रहती हूँ तत्पर
चलने को कर्तव्यपथ पर,..

प्रीति सुराना
08/12/2017

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