Sunday 3 December 2017

छोटे-छोटे सपने

बातें नहीं है बड़ी-बड़ी
बस छोटे-छोटे सपने हैं,

कोई दुश्मन नहीं है लेकिन
गिनती के ही अपने हैं,

लाग-लपेट नहीं जानूँ
कोई भी छल जाता है,

तय है पल प्रतिपल जीवन के
संघर्षों में ही खपने हैं।

प्रीति सुराना

0 comments:

Post a Comment