बातें नहीं है बड़ी-बड़ी
बस छोटे-छोटे सपने हैं,
कोई दुश्मन नहीं है लेकिन
गिनती के ही अपने हैं,
लाग-लपेट नहीं जानूँ
कोई भी छल जाता है,
तय है पल प्रतिपल जीवन के
संघर्षों में ही खपने हैं।
प्रीति सुराना
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बातें नहीं है बड़ी-बड़ी
बस छोटे-छोटे सपने हैं,
कोई दुश्मन नहीं है लेकिन
गिनती के ही अपने हैं,
लाग-लपेट नहीं जानूँ
कोई भी छल जाता है,
तय है पल प्रतिपल जीवन के
संघर्षों में ही खपने हैं।
प्रीति सुराना
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