Monday 20 November 2017

मेरे बाद


वक्त को थमने मत देना कल मेरे बाद,
दर्द को रुकने मत देना तुम मेरे बाद,

रहने देना जो भी जैसा भी है आज,
बदल नहीं देना तुम सबकुछ मेरे बाद,

आज अगर खुशियां हो बैठी है नाराज,
लौटेगी फिर अपना लेना मेरे बाद,

समझा न सकी थी मैं ही तुमको हालात,
कोशिश करना समझ सको तो मेरे बाद,

जिस्म की बात नहीं हम जिसको जाते भूल
रुह का रुह से नाता होगा मेरे बाद

रह जाती है बाकी बस यादें ही पास
दिल की बातें दिल में रखना मेरे बाद

जरुरत होती तो पूरी हो जाती लेकिन,
'प्रीत' कमी तो रह जायेगी मेरे बाद।

प्रीति सुराना
20/11/2017

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