मैंने कभी नहीं चाहा
कि तुम आओ
समय की तरह
मेरी जिंदगी में
अच्छे या बुरे बनकर
और फिर छोड़ जाओ
अच्छी बुरी यादें देकर,..
न ही मैं ये चाहती हूं
कि तुम आओ
मेरी जरूरत,
सपनें, ख्वाहिश
या सुख-दुख बनकर
और खत्म हो जाओ
एक ही बार पूरे होकर,..
मैंने हमेशा यही चाहा
तुम जब भी आओ
आना बस जिंदगी बनकर,...
सुनो!!
मैं तुम्हें जीना चाहती हूँ
खोने और पाने के डर से परे
मरने से पहले,...जी भरकर,...
(एक खयाल
गीत
तुम पुकार लो, तुम्हारा इन्तज़ार है,
मुक़्तसर सी बात है, तुम से प्यार है
सुनते हुए
बस यूँ ही,... 😊😔😌)
प्रीति सुराना
बहुत खूब
ReplyDeleteसुन्दर।
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