साथ का अर्थ है
न कोई आगे
न कोई पीछे
बल्कि
सब रहें साथ-साथ
डाले हाथों में हाथ
श्रृंखलाबद्ध,
और
कमजोर कड़ियों को
मजबूती से थामे
मजबूत कड़ियाँ...,
कम और ज्यादा
क्षमताओं के व्याकरण को
जगजाहिर करने की बजाए
जुड़कर क्षमताओं के
मजबूत और सटीक
समीकरण को जन्म देना,..
ताकि
एक का नहीं
सम्पूर्ण श्रृंखला का विकास हो
यही है सफलता का अटूट नियम,..
याद रहे ये कहावत
*अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता*
मंजिल तक पहुंचने के लिए
जरूरी है कदम बढ़ाना,..
और हाँ!
पर उससे भी बड़ा सच है
सोच से बढ़ता है सामर्थ्य
सफलता का अनिवार्य सूत्र है
सामर्थ्य बढ़ाने के लिए
कदमों के साथ हमे बढ़ाने होंगे
अपनी सोच के दायरे भी,..
क्योंकि
संकुचित मर्यादाओं में
घुट जाता है दम
हर सामर्थ्य और सफलता का,....
प्रीति सुराना
सुन्दर भावाभिव्यक्ति, साथ ही सादर आग्रह है कि मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों --
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का लिंक है : http://rakeshkirachanay.blogspot.in