माना
हर सफ़र की कोई वज़ह
कोई मंज़िल
जरूर होती है
पर जाने क्यूं
कभी कभी
मन कहता है
खोकर खुद को
कर हासिल सबकुछ
बस
फिर ठहर जा
यही है तेरी मंज़िल
और यही है आखरी सफ़र,..
प्रीति सुराना
copyrights protected
माना
हर सफ़र की कोई वज़ह
कोई मंज़िल
जरूर होती है
पर जाने क्यूं
कभी कभी
मन कहता है
खोकर खुद को
कर हासिल सबकुछ
बस
फिर ठहर जा
यही है तेरी मंज़िल
और यही है आखरी सफ़र,..
प्रीति सुराना
0 comments:
Post a Comment