लचीले रिश्ते
मैंने
रिश्तों में लचीलापन देखा है ,..
रबर की तरह
उसे कहीं भी कितनी ही बार
मोड़कर लगा लो
किसी चीज को व्यवस्थित रखने के लिए
कितना भी कसकर बांध लो
खींचतान कर, तोड़ मरोड़ कर काम में लो
जरूरत न होने पर छोटी सी जगह पर
दबाकर, घुसाकर, छुपाकर रख दो
पर जानते हो
ये उपयोगिता रबर के लचीलेपन की तभी तक
जब तक रबर अपने मूल स्वरूप में है
एक बार परिधि टूटी
और दो अलग अलग सिरे
दो लोगों के हाथ मे आए
उसके बाद कभी खींचातानी मत करना
क्योंकि
टूटा हुआ रबर
दोनों तरफ से खिंचता है
तो फिर टूटता है बड़ी जोर से
असहनीय पीड़ादायक चोट लगती है
उन दोनों ही हाथों को
जिनमें थे रबर के दोनों सिरे,..
सुनो!
जरा संभालना
इस बार रिश्ता टूटा
तो अपनी चोट के लिए
मानसिक रूप से तैयार हूं मैं
पर अब भी
तुम्हें लगने वाली चोट का दर्द
मुझसे नही सह जाएगा।
रबर से लचीले रिश्ते का
दूसरा पहलू ये भी है,...
प्रीति सुराना
बहुत खूब
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