Friday, 21 July 2017

उलझन

उलझन (डमरू घनाक्षरी)

सह मत डरकर
लड़ अब डटकर
मत रह बच बच
सच कह रट पट

तन मन धन सब
रख अब सम कर
अहम वहम तज
बस कर खटपट

ठहर ठहर चल
बह मत जल सम
वजन वहन कर
चल मत सरपट

उलझन मन भर
हर पल हर घर
अब हर नटवर
सब डर झटपट

प्रीति सुराना

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