Saturday, 15 July 2017

तुम बिन मेरे जीवन में,...

सारे ही भाव अधूरे हैं
तुम बिन मेरे जीवन में,...

नटखट सी बरखा की बूंदें
करे अठखेलियां सावन में
रिमझिम रिमझिम बरसे बदरा
और तुम मन के आंगन में

सारे ही भाव अधूरे हैं
तुम बिन मेरे जीवन में,...

शीत की शीतल बयारों में
थरथर करती बहारों में
रवि ओढ़ कर रहे कुहासा
और हम तुम वृंदावन में

सारे ही भाव अधूरे हैं
तुम बिन मेरे जीवन में,...

ऋतुराज बसंत की पुरवाई
रंग बसंती लेकर आती
छटा पलाश बिखेरे जग में
और तुम मन के कानन में

सारे ही भाव अधूरे हैं
तुम बिन मेरे जीवन में,...

गरमी में दिनकर का पारा
रहता हरदम बढ़ा चढ़ा सा
ताप उढ़ेले गगन धरा पर
और तुम प्रेमसुधा मन में

सारे ही भाव अधूरे हैं
तुम बिन मेरे जीवन में,...

प्रीति सुराना

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