पल में तोला पल में माशा
ये जीवन है खेल तमाशा
सूरज रोज सवेरे आता
किरणों में लेकर कुछ आशा
श्रम के साधक सीकर बोते
पर उग आती घोर निराशा
किसको बेचें किसको खाएं
घिर आई घनघोर हताशा
महज दिखावे के सब मेवे
भूल गए सब खील बताशा
सीखा मन से खेल सभी ने
गुम गुड़िया और तिरी पाशा
चैन अमन सुख अब खो बैठे
प्रीत खुशी को खूब तलाशा,... प्रीति सुराना
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