Monday, 19 June 2017

खेल तमाशा

पल में तोला पल में माशा
ये जीवन है खेल तमाशा

सूरज रोज सवेरे आता
किरणों में लेकर कुछ आशा

श्रम के साधक सीकर बोते
पर उग आती घोर निराशा

किसको बेचें किसको खाएं
घिर आई घनघोर हताशा

महज दिखावे के सब मेवे
भूल गए सब खील बताशा

सीखा मन से खेल सभी ने
गुम गुड़िया और तिरी पाशा

चैन अमन सुख अब खो बैठे
प्रीत खुशी को खूब तलाशा,... प्रीति सुराना

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