Sunday, 11 June 2017

संवेदनहीन

   
                     "मॉम आज हिन्दी में स्पेशल टॉपिक पर लेक्चर कॉम्पिटिशन है। किसी अच्छे से टॉपिक पर कुछ लिख कर दो ना। इस बार मुझे ये कॉम्पिटिशन जीतना है।"
                   "ठीक है, निर्भया कांड पर लिख दूँ।"
                    "नो नो ईट्स टू ओल्ड।" कुछ नया मैटर चाहिए जिसमें लोगों को इंटरेस्ट आए।  अच्छा इम्प्रेशन भी पड़ना चाहिए।
                     भाई अभी अभी जो किसानों की हत्या के बाद का बड़ा सा ड्रामा चल रहा है रोज हर न्यूज़ चैनल्स पर दिखा रहा। उसपर स्पीच दो। "करेंट अफ़ेयर्स पर ज्यादा मार्क्स मिलते हैं।"
                     ओके "दिव्या सही कह रही हो।" पर सुनो आज सिविल ड्रेस में जाना है "तुम शॉर्ट्स पहन कर बिल्कुल मत आना।" मुझे बहुत गुस्सा आता है जब लड़के तुम्हे घूरते हैं।
                      "मॉम मैं जिम होकर आता हूँ तब तक आपकी मातृभाषा में किसानों के मैटर पर इमोशनल सा भाषण लिख दो।" ये कह कर सौरभ हंसता हुआ बाहर चला गया।
                       सुधा ने एक नज़र बेटी की तरफ देखा और मन ही मन शुक्र मनाया की कम से कम संस्कारों में अपनी बहन की फिक्र तो है इसे,.. वरना क्या होगा इस संवेदनहीन नई पीढ़ी का ईश्वर ही जाने।
                         ये सोचते हुए फटापट नाश्ते की तैयारी करने लगी सौरभ के पापा का सुबह की सैर से लौटने का समय हो गया था।

प्रीति सुराना

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