Sunday, 28 May 2017

मुश्किल

अंतस में रख पाना मुश्किल,
राज लबों तक लाना मुश्किल।

राग सुनाएं गम का किसको,
बहुत कठिन ये गाना मुश्किल।

धूप बहुत है सावन बीता,
छांव घटा की छाना मुश्किल।

सुख की राह बहुत कंटीली,
मंजिल तक है जाना मुश्किल।

लौट चलें फिर घर तक वापस,
इतना साहस आना मुश्किल।

आ भी जाएं बीच सफर से
सुनना सबका ताना मुश्किल।

सब कुछ मिलता है किश्तों में,
मिलना अन्न का दाना मुश्किल।

काम भला कितना भी कर लो,
सबके मन को भाना मुश्किल।

प्रीत सभी के मन में बसकर,
जीवन पार लगाना मुश्किल।

प्रीति सुराना

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