Thursday 18 May 2017

तबदील

मेरी हर खुशी आंसुओं में तबदील होती है।
जितना हंसते है लब आंखें उतना ही रोती है।
सोचती हूँ सपने और यकीन खुद ही तोड़ दूँ,
अपनों से खाकर चोट बहुत तकलीफ होती है।।

प्रीति सुराना

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