सुनो!!
गम का
ख़ुशी का
अपनों का
सपनों का
सफलता का
असफलता का
साया कभी नहीं छोड़ता साथ,..
न अंधेरे में
न उजाले में
न दिन में
न रात में
न अतीत में
न आगत में
साया होता है स्थायी,..
हर भाव का
हर याद का
हर बात का
हर कोशिश का
हर हार का
हर जीत का,
बस अपनी दिशा और दशा बदलता है,..
जीवन के हर हाल और हालात का साया
समय की रौशनी के साथ,..
समय अच्छा हो
तो हर अच्छी बात
साये सी
साथ
प्रेरित करती नजर आती है,..
समय बुरा हो
साया साथ नहीं छोड़ता
बस हर बुरी बात
साये सी
साथ
चिपकी महसूस होती है,..
(नज़र आए न आए)
सच कहूं तो
साया
बिलकुल
तुम सा ही तो है
जैसे अच्छे बुरे हर समय में साथ मुझे महसूस होते हो
पर लोगों को दिखते हो
सिर्फ मेरे सुख के उजाले में,..
कोई
ये समझ ही नहीं पाता
मेरे विकट समय में
अदृश्य सा मुझे संभालता हुआ कौन है?
किस किस से कहूं
थामे रखते हो मेरे हौसले को भी
हमेशा
साये की तरह
सिर्फ तुम,... प्रीति सुराना
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 02-03-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2600 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत सुन्दर।
ReplyDelete