Saturday, 11 February 2017

दिन रात वही है

लोगों की हर बात वही है
साल नया दिन रात वही है

बस थोड़ा मौसम बदला है
समय बुरा हालात वही है

रंग बनाता ऊपरवाला
रंगों की सौगात वही है

कर्म ही देता सबकुछ सबको
पैसे की औकात वही है

सोने की कीमत बदले पर
लोहे का आघात वही है

भूली बिसरी कितनी यादें
पर मेरे जज़बात वही है

मज़हब कितने ही बदलें पर
इंसानों की जात वही है

शतरंज बना जीवन सबका
शह बदली पर मात वही है

'प्रीत' नहीं बदलेगी दुनिया
बेमौसम बरसात वही है

प्रीति सुराना
(अभी अभी)

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