Wednesday 9 November 2016

कालाधन


          बहुत बड़ी हवेली में किशना का बापू काम करता था। बापू के जाने के बाद बड़ी हवेली वाले सेठ ने वहीं नौकरी पर रख लिया था।तब वह 5 साल का था आंगन की सफाई का काम लिया जाता था उससे।
       आंगन के झाड़ू से तिजोरी की चाबी तक का भरोसा किशना ने बड़ी हवेली के श्याम बाबू के प्रति अपने समर्पण से जीता था।उनकी पत्नी का देहांत गांव में अच्छी चिकित्सा सुविधा न होने की वजह से शहर ले जाते समय कुछ साल पहले हुआ और उनका इकलौता बेटा विदेश जाकर बस गया। 5 साल का किशना 20 साल का होने को आया। 

       एक दिन विदेश से श्याम बाबू के बेटे ने फोन करके कहा किशना मैं बार-बार भारत नहीं आ सकता तुम स्टाफ़ क्वाटर छोड़कर बाबूजी के साथ रहो और उनके पास पैसों की कमी नहीं खुद भी ठीक से रहो और उनकी भी देखभाल करो और बाबूजी से कहना मुझे बार बार फोन न करें। इस बात को दो साल बीत गए अब तो उनके बेटे का फोन भी आना बंद हो गया।
         आज अचानक सुबह फोन की घंटी बजी , किशना ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से आवाज़ आई किशना मैं शेखर बोल रहा हूं आज  भारत आ रहा हूं , तुम एक काम करना बाबूजी के सारे कागजात और बैंक की पासबुक्स इकट्ठी करके रखना। किशना चौक गया कि अचानक ये सब क्या और कैसे?
          दौड़ कर बाबूजी को बताने गया तो देखा बाबूजी अपने कागज़ात इकट्ठे कर रहे थे।किशना ने पूछा ये आप क्या कर रहे हैं? बाबूजी बोले आज शेखर आएगा उसे इनकी जरुरत पड़ेगी। आश्चर्य से किशना ने पूछा आपको कैसे पता मैंने तो बताया ही नहीं और फोन अभी अभी आया है।
           बाबूजी बोले कल रात टीवी पर न्यूज़ आया था कि मोदी सरकार 500 और 1000 के नोट बंद कर रही। शेखर को पता है मैं उसकी मां के देहांत के बाद से आकस्मिक व्यवस्था के लिए बैंक की बजाय सारी रकम 500 और 1000 के नोट में घर पर ही रखता हूं। मेरे बाद सबकुछ उसी का तो है अपने नुकसान का अंदेशा होते ही वो भागा आएगा ये मैं जानता था।
         खैर सुनो आज खाना शेखर की पसंद का बनवा लेना क्योंकि इसके बाद मेरे रहते वो यहां नहीं आएगा। चलो भला हो मोदी जी का मरने से पहले कालेधन के बहाने नोटों पर पाबंदी लगाकर मरने से पहले बेटे का मुंह दिखा दिया। ये कहकर बाबूजी अपने कमरे की ओर जाने लगे।
           अचानक रूककर बोले किशना जरा तिजोरी से 500 और 1000 के अलावा 10/20/50/100 के जितने नोट हैं निकालकर अपने पास रख ले। मेरे अंतिम समय तक तुम्हे ही मुझे पालना है और मेरे बाद तुम्हे खुद को,...।
हतप्रभ सा किशना बाबूजी से पूछना चाहता था कि अपने खून से ज्यादा भरोसा मुझ गरीब पर क्यों?
(मन ने अंदर से कहा तेरे पास सिक्कों की खनक है नोटों का लालच नहीं,.. )

प्रीति सुराना

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