वो बसते मन में जब से हमने समझी उनकी हर भाषा,
जाग रही महके महके मन में बहकी बहकी अभिलाषा,
है मन की यह चाहत केवल है इतनी मन में बस आशा
आज जरा समझा मुझको सच में साजन की परिभाषा।
प्रीति सुराना
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वो बसते मन में जब से हमने समझी उनकी हर भाषा,
जाग रही महके महके मन में बहकी बहकी अभिलाषा,
है मन की यह चाहत केवल है इतनी मन में बस आशा
आज जरा समझा मुझको सच में साजन की परिभाषा।
प्रीति सुराना
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