माना है ये मुश्किल घड़ी,
हर कदम पे है पीड़ा खड़ी,
मन थोड़ा सा धीरज धरो,
ढूंढो कोई खुशी की कड़ी,..
कर्म करना ही कर्तव्य है,
सरल किसका गंतव्य है,
समझा मन ये खुद को जरा,
अब क्या तेरा मंतव्य है,
नज़र मंजिल पर रख गड़ी,..
माना है ये मुश्किल घड़ी,..
हर पल में तू रख हौसला,
डरकर कब है साहिल मिला,
तैरने की तू कोशिश तो कर,
डूबने का ही क्यूं है गिला,
पार सागर के मंजिल पड़ी,..
माना है ये मुश्किल घड़ी,..
बिन मेहनत मिला कुछ तो क्या,
फल मीठा वो होगा नहीं,
सब्र कर ले जरा सा तू मन,
भाग्य का लेख टलता नहीं,
ये सचाई है सबसे बड़ी,...
माना है ये मुश्किल घड़ी,...
माना है ये मुश्किल घड़ी,...
हर कदम पे है पीड़ा खड़ी,
मन थोड़ा सा धीरज धरो,
ढूंढो कोई खुशी की कड़ी,.. प्रीति सुराना
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