Sunday 30 October 2016

तुम दीप हो मैं बाती तुम्हारी

तुम दीप हो मैं बाती तुम्हारी,
तुम्हारा विश्वास
तुम्हारा प्रेम
तुम्हारा समर्पण
सिर्फ मेरा है,...

तुम हो तो
न कोई गम
न कोई दर्द
न कोई कमी
न तम ने घेरा है,...

जीवन में
हर पल
हर क्षण
हर कदम
खुशियों का सवेरा है,..

दीप की ताकत
दीप का लक्ष्य
दीप की नियति
दीप का महत्व
जलकर मिटाना अंधेरा है,...

समकित का दीप तपकर खुश है,
प्रीत की जलती हुई बाती से निकलती
उम्मीद की रौशनी देखकर,
पर दूसरों को दिखता है
दीप तले अंधेरा है,...

आसान नहीं दीप बनना,
औरों को खुश देखकर जलना छोड़ो,
जल तो यूं भी रहे हो,
एक कोशिश कर के देखो न
दीप बनकर अपनी बाती संग जलने की,..

सच सुकून मिलेगा,.… प्रीति सुराना

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