यूं गलती को गुनाह मत कहो,
इस तरह खफा मुझसे मत रहो,
जो यहां से किसीका लौटना जरूरी है
तो तुम रुको मुझे जाने को कहो,... प्रीति सुराना
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यूं गलती को गुनाह मत कहो,
इस तरह खफा मुझसे मत रहो,
जो यहां से किसीका लौटना जरूरी है
तो तुम रुको मुझे जाने को कहो,... प्रीति सुराना
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (06-09-2016) को "आदिदेव कर दीजिए बेड़ा भव से पार"; चर्चा मंच 2457 पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को नमन।
शिक्षक दिवस और गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'